जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अब कैसा रहेगा भारत और अमेरिका के बीच सम्बन्ध – जो बाइडेन ने 20 जनवरी 2021 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया था। उसके साथ कमला हैरिस ने भी उप राष्ट्रपति पद की शपथ ली। जो बाइडेन पुराने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विचारों से एकदम अलग हैं। डोनाल्ड ट्रंप को मुस्लिम विरोधी माना जाता था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कई मुस्लिम बाहुल्य देशों को वीजा देने से इनकार कर दिया था। जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही सबसे पहले इस प्रतिबंध को हटाया है।
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भविष्य में कैसे रहेंगे भारत और अमेरिका के बीच संबंध :
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में दिए गए एक भाषण में कहा था कि भारत अमेरिका का मुख्य सहयोगी है। उनका यह बयान भारतीय प्रधानमंत्री के लिए उत्साहजनक जरूर है लेकिन पुराने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मोदी की मित्रता किस प्रकार की थी, यह तो पूरा विश्व जानता था। अब क्या जो बाइडेन के साथ नरेंद्र मोदी के रिश्ते उस तरह बन सकते हैं।
मानवाधिकार के हिमायती हैं बाइडेन:
जो बाइडेन और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी मानवाधिकार की हिमायती हैं। चूंकि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वे अमेरिका की भूमिका को ह्यूमन राइट्स चैंपियन के तौर पर देखना चाहते हैं। इसीलिए संभव है कि वे भविष्य में अल्पसंख्यक अधिकार के मामले को उठाने की ओर कदम बढ़ाते हुए कश्मीर मुद्दे को भी उठाएं।
CAA और NRC का विरोध कर चुके हैं बाइडेन :
जो बाइडेन और कमला हैरिस दोनों CAA और NRC का भी विरोध कर चुके हैं। बाइडेन ने मुस्लिम-अमेरिकन कम्युनिटीज एजेंडा के तहत CAA और NRC का विरोध किया था। उनका कहना था कि भारत सरकार के इस कदम से सालों से चली आ रही बहुधर्मी लोकतंत्र का अपमान हुआ है। हालांकि यह भारत का अंदरूनी मामला है इसलिए उनका विरोध कोई खास मायने नहीं रखता है। यह उनके लिए सिर्फ चुनावी भाषणा जैसा था।
धारा 370 हटाने का विरोध कर चुकी हैं कमला हैरिस:
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का भी विरोध कर चुकी हैं। ह्यूस्टन में कश्मीर में फोन पर लगे प्रतिबंध के बारे में सवाल करने पर उन्होंने कहा था कि “हम लोगों को ये बताना चाहते हैं कि वो अकेले नहीं हैं, हम नज़र बनाए हुए हैं। एक राष्ट्र के तौर पर ये हमारे मूल्यों का हिस्सा है कि हम मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में बोलते हैं और जहां ज़रूरी होता है, हम दख़ल भी देते हैं।”
कूटनीतिक तौर पर मोदी और बाइडेन के रिश्ते रह सकते हैं अच्छे:
नरेंद्र मोदी की कूटनीति जग जाहिर है तो वहीं जो बाइडेन भी किसी से कम नहीं है। चुकि एक ओर डोनाल्ड ट्रंप का झुकाव हिन्दू आबादी की तरफ था तो इसीलिए जो बाइडेन का झुकाव दूसरे पक्ष यानी मुस्लिम पक्ष की ओर हो गया। इसके साथ ही जो बाइडेन अब मुस्लिमों के दिल में एक अच्छा स्थान भी रखते हैं। लेकिन व्यापार के लिहाज से भारत काफी बड़ी आबादी वाला देश है। इसलिए वे भारत के साथ अपनी मित्रता बनाए रखेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि यदि भारत के साथ उनके मित्रता में दरार आई तो रूस भारत के साथ अपने संबंध मजबूत कर लेगा। इधर चीन के रिश्ते अमेरिका के साथ पहले से खराब है। अगर अमेरिका को एशिया में अपनी पकड़ मजबूत रखनी है तो उसे भारत को अपने साथ लेकर चलना होगा क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही चीन के हाथ की कठपुतली है।