01 फरवरी को पास होने वाला है केंद्रीय आर्थिक बजट, जानिए क्या और कैसे तैयार होता है यह बजट – इस साल 01 फरवरी को वित्त मंत्री सदन में केंद्रीय आर्थिक बजट पेश करेंगे। आर्थिक बजट को आम बजट भी कहते हैं। इस बजट पर भारत के सभी वर्गों की कड़ी नजर रहेगी। आर्थिक बजट में उस बातों के बारे में बताया जाता है कि इस साल सरकार किस क्षेत्र पर कितना व्यय करेगी। इस व्यय को करने के लिए उसके आय का क्या स्रोत है। इस स्रोत में कर, विनिवेश, उधार आदि हैं। जबकि व्यय में कर्मचारी वेतन, उधार पर ब्याज, रक्षा खर्च, सब्सिडी, खर्च विभिन्न कल्याणकारी व्यय, राज्य सरकार को करों का आवंटन आदि। ऐसा बजट जहां व्यय आय से अधिक होता है उसे घाटे का बजट कहा जाता है।
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क्यों कहा जाता है बजट ?
अंग्रेजी शब्द बजट (Budget) की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द Bougette से हुई है जिसका अर्थ है– चमड़े का थैला। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम इंग्लैंड में सन् 1733 में प्रधानमंत्री वालपाल द्वारा हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद) में प्रस्तुत वित्तीय विवरण के विरुद्ध व्यंग्य रूप में किया गया। राजकोषाधिकारी कॉमन्स सभा में वित्त सम्बंधी कागजात चमड़े के थैले में ले जाया करते थे। उसी समय से इसे ‘बजट‘ कहा जाने लगा। पहले भारत में भी चमड़े के थैले में कागजात लाए जाते थे लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 के बजट पेश करने के लिए कागजात लाल कपड़े में लपेटकर लाना शुरू कर दिया। तब से यह परंपरा आगे निभाई जा रही है।
क्या होता है बजट?
वास्तव में, बजट किसी निश्चित अवधि के लिए सरकार की वित्तीय योजना है जिसमें अनुमानित आय और व्यय का विस्तारपूर्वक वर्णन होता है। बजट में यह प्रस्ताव होता है कि अगले वर्ष में किस क्षेत्र में कितना धन खर्च किया जाना है और कितना धन किस स्रोत से आयेगा या कहाँ से इकट्ठा किया जायगा। बजट के माध्यम से सरकार (कार्यपालिका) विधायिका के समक्ष इस बात को बताती है कि उन्होंने पिछले साल किस प्रकार काम किया। राष्ट्रीय कोष की वर्तमान स्थिति क्या है, इन सूचनाओं के आधार पर अगले वर्ष के अनुमान और प्रस्ताव क्या हैं।
बजट के माध्यम से ही सरकार को अपनी वित्तीय और आर्थिक नीतियों तथा कार्यक्रमों का पुनर्विलोकन करने और उनकी व्याख्या करने का अवसर मिलता है। साथ ही, संसद को उन पर विचार करने और उनकी आलोचना करने का भी अवसर प्राप्त होता है। बजट शासन के समन्वय, नियंत्रण एवं प्रबंध का एक महत्वपूर्ण साधन है। बजट के माध्यम से व्यवस्थापिका कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।
आमतौर पर बजट वार्षिक होते हैं। ब्रिटेन, भारत तथा अधिकतर राष्ट्रमंडलीय देशों में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है जबकि फ्रांस में यह 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक होता है। वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से पूर्व ही बजट व्यवस्थापिका के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है।
रेल बजट और आम बजट का विलय:
जब सभी सरकारी विभागों के अनुमानित व्यय एक ही बजट में सम्मिलित कर लिए जाते हैं तो उसे ‘एकल बजट‘ कहा जाता है। भारत में पहले रेल विभाग का बजट आम बजट से अलग प्रस्तुत किया जाता था। भारत में रेल बजट की अलग से शुरुआत सन् 1921 में की गयी और अंतिम बार 25 फरवरी 2016 को पेश किया गया था। साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने पहली बार आम बजट और रेल बजट को एक साथ पेश किया था। तब से इसे आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा।
किसी बजट में आय–व्यय का जो प्रावधान किया गया है यदि वह उसी बजट–वर्ष में प्राप्त होता है तो उसे ‘नकद बजट‘ कहा जाता है और जब आय उस वर्ष में प्राप्त नहीं हो तो उसे ‘राजस्व बजट‘ कहा जाता है। भारत, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका में नकद बजट प्रस्तुत किया जाता है जबकि फ्रांस में राजस्व बजट का प्रचलन है।
बजट में किये गये प्रावधानों के अनुसार यदि आय का अनुमान व्यय के अनुमान से अधिक है तो वह लाभ का बजट‘ कहा जाता है और यदि आय कम हो तो ‘ घाटे का बजट‘ कहा जाता है तथा जब आय–व्यय दोनों समान हों तो उसे संतुलित बजट‘ कहा जाता है। विकास कार्य और सार्वजनिक कल्याण के चलते विकासशील देशों में प्रायः ‘घाटे का बजट‘ प्रस्तुत किया जाता है।
बजट–निर्माण प्रक्रिया:
बजट–निर्माण का अर्थ है, आय–व्यय का अनुमान तैयार करना। प्रत्येक देश में बजट के निर्माण का कार्य कार्यपालिका द्वारा रत्न किया जाता है। बजट–निर्माण की प्रक्रिया के निम्नलिखित चरण हैं:
(1) बजट संबंधी अनुमानों की तैयारी
(2) वित्त मंत्रालय द्वारा बजट अनुमानों का परीक्षण
(3) मंत्रिमंडल की स्वीकृति
(4) संसद में बजट का प्रस्तुतिकरण
(5) लोकसभा में बजट पर चर्चा
(6) कटौती प्रस्ताव
(7) विनियोग विधेयक
(8) वित्त विधेयक।